राजा आयु
राजा आयु महाराज पुरुरवा के पुत्र थे उनका जन्म अप्सरा उर्वशी के गर्भ से हुआ था। पुरुरवा के बाद वे प्रतिष्ठान राज्य के उतराधिकारी बने। महारज आयु का विवाह राहु की पुत्री बिरजा से हुआ था। उनके नहुष, क्षत्रवृद्ध, रंभ,रजि और अनेनस नामक पांच पुत्र हुए। उनके ज्येष्ठ पुत्र नाम नहुष था। ज्येष्ठ पुत्र होने कारण नहुष राज्य के उतराधिकारी बने।
आयु पुत्र महाराज नहुष
राजा नहुष महाराजा आयु के पुत्र थे उनकी पत्नी विरजा के गर्भ से छः महाबली पुत्र उत्पन्न हुए. उनके नाम इस प्रकार है- यति, ययाति, संयाति, आयाति, वियाति और कृति। ज्येष्ठ पुत्र होने के कारण नहुष के बाद यति प्रतिष्ठान राज्य के उत्तराधिकारी थे। किन्तु यति को राज्य की इच्छा न थी ओर वे वेराग्य को चले गये इस कारण ययाति वहाँ के राजा बने। महाराज नहुष के बारे में प्रसिद्द है। कि वे कुशल उच्चकोटि के शासनकर्ता थे।
निपुण शासनकर्ता होने के कारण नहुष को कुछ समय के लिए देवताओं के राजा के रूप में इन्द्रासन पर बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कहा जाता है कि देवताओ के राजा इंद्र ने वृतासुर का वध कर दिया था। इस कारण इंद्र को ब्रह्म हत्या का दोष लगा। इस महादोष के प्रायश्चित के लिए वे एक सरोवर के अंदर गए और वहाँ कमल की नाली में सूक्ष्म रूप धारण करके छुप गए।इससे इंद्र का आसन खाली हो गया। देवताओ को महाराज नहुष की शासन कुशलता का ज्ञान था। ये सोचकर कि इन्द्रासन खाली न रहे इसलिए देवताओ ने मिल कर उस पर नहुष को बिठा दिया।कुछ समय तक महाराज नहुष ने तीनो लोको का शासन बड़े व्यस्थित ढंग से किया। सब जगह उनके क्रिया कलापों की प्रशंसा होने लगी। परन्तु धीरे-धीरे स्वर्ग की विलासता,नित्य सुंदर अप्सराओ के दर्शन तथा सर्वोपरि सत्ता के मद ने उनके मस्तिक को दूषित करना शुरू कर दिया। इंद्र की परम सुन्दरी साध्वी पत्नी का नाम शची था। वह बहुत सुन्दर और रूपवान थी। उसके सौन्दर्य को देखकर नहुष मोहित हो गए। वे शची को प्राप्त करने की चेष्टा करने लगे। देवताओं को जब यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने राजा को बहुत समझाया और कहा कि उनके द्वारा ऐसी चेष्टा करना अशोभनीय है।परन्तु वे नहीं माने।इन्द्राणी को वश में करने के लिए एक दिन नहुष ने ऋषियों से पालकी उठवा कर उसके भवन की और चले।पालकी उठाकर ऋषिगण मार्ग में धीरे -धीरे चल रहे थे तो नहुष क्रोधित हो कर उन्हें जल्दी-जल्दी तेज चलने को कहा। यह नजारा देखकर पालकी ढो रहे अगस्तय मुनि ने नहुष को सांप बन जाने का शाप दे दिया। उनको पालकी से उतारकर आकाश से पृथ्वी पर गिरा दिया।इस प्रकार नहुष का पतन हो गया।
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प्राचीन स्थानीय साहित्य
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